लॉकडाउन के अलावा राज्यों के दूसरे मुद्दों पर होगी बात!
नई दिल्ली। अगले हफ्ते सोमवार, 27 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा करने जा रहे हैं। कोविड-19 का संक्रमण रोकने के लिए राज्यों के साथ विचारों को साझा करेंगे। हालांकि लगभग सभी राज्य लॉकडाउन जारी रखने के पक्षधर हैं, इस दौरान गैरभाजपा शासित राज्यों की ओर से प्रधानमंत्री के सामने कुछ ज्वलंत मुद्दे मुखरता से उठ सकते हैं।
महाराष्ट्र सरकार लगातार केंद्र सरकार से दूसरे राज्यों के गरीब मजदूरों, कामगारों को लेकर संपर्क कर रही है। उद्धव ठाकरे भी चाहते हैं कि जो अपने गृहराज्य जाना चाहते हों, उनके लिए कुछ व्यवस्था होनी चाहिए। इसी तरह से दूसरे राज्य में पर्यटन या किन्हीं अन्य कारण से गए तथा लॉकडाउन के कारण फंसे लोगों को लाने का दबाव है। दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे ऐसे राज्य भी है, जहां बिना राशनकार्ड धारी गरीबों, मजदूरों की तादाद काफी अधिक है। राज्य सरकारें बिना राशन कार्ड वाले मजदूरों को खाद्यान्न या भोजन उपलब्ध करा रही हैं, लेकिन उनके लिए यह व्यावहारिक रूप में कठिनाई भरा भी है। प्रधानमंत्री किसान का दर्द भी समझते हैं और उनकी चिंता गरीब को लेकर है। इसलिए उम्मीद की जा रही है कि प्रधानमंत्री भी गरीबों, मजदूरों को भोजन, अनाज, सब्सिडी, सहायता उपलब्ध कराने पर चर्चा कर सकते हैं। वह किसानों की कुशलक्षेम को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सुझावों पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन देते हुए उनसे अपनी ओर से अपील भी कर सकते हैं। गौरतलब है कि दूसरे राज्यों में गए गरीब, मजदूरों को वापस लाने का दबाव उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों पर भी है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसके लिए काफी संवेदनशील हैं। राजस्थान सरकार के एक मंत्री तो केंद्र सरकार की 24 मार्च को अचानक शुरू होने वाली लॉकडाउन पॉलिसी के ही खिलाफ हैं। उधर प्रधानमंत्री से मुख्यमंत्रियों की चर्चा में निगाहें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी रहेंगी। ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में बिना उन्हें विश्वास में लिए केंद्र की तरफ से भेजी गई टीम को लेकर खफा हैं। तृणमूल कांग्रेस ने भी इसे लेकर विरोध जताया है।